सिंगल यूज प्लास्टिक से भी बन सकता है क्रूड आयल
चेन्नई/मथुरा/देहरादून। प्लास्टिक का एक छोटा सा टुकड़ा विघटन में सैंकड़ों साल लगा देता है। इतना ही नहीं, इस प्रक्रिया में प्लास्टिक तत्व भू एवं जल की प्रकृति को भी बड़ा नुक़सान पहुंचता है।
यद्यपि प्लास्टिक के उत्पादन को पूर्णतः रोका जाना व्यवहारिक नहीं है, तो भी प्लास्टिक के कचरे का पुनः चक्रीकरण एक उपाय है जिससे इसे अनियंत्रित रुप से फैलने से रोका जा सकता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 56लाख टन प्लास्टिक का कचरा प्रत्येक वर्ष निकलता है। जिसमें से केवल 20% कचरा ही पुनः चक्रीकृत हो पाता है।
चेन्नई स्थित पीटरसन एनर्जी, पृथ्वी पर प्लास्टिक के कचरे से उत्पन्न होने वाले खतरों को कम करते हुए एक नए नवोन्मेष के साथ प्लास्टिक के उपयोग को सामने लाई है।
इस स्टार्ट अप में प्लास्टिक के कचरे को लिक्विड फ्यूल (तरल ऊर्जा) में बदला जाता है, जो वातावरण के अनुकूल तथा जनरेटर और औद्योगिक ब्वॉयलर्स में उपयोग होने वाले ऊर्जा स्रोत/फ्यूल से सस्ती है। यह स्टार्टअप विद्या और अमरनाथ मैनिअल नामक युगल ने वर्ष 2016 में प्रारंभ किया था तब से अब तक इन्होंने 150 टन प्लास्टिक कचरे को उपयोगी ऊर्जा/फ्यूल में परिवर्तित कर दिया है।
प्लास्टिक, मानव द्वारा निर्मित एक विशिष्ट उत्पाद है जिस के अनेकों उपयोग हैं तथा आज के जीवन में प्लास्टिक के उत्पादों के बिना जीवन की सहजता अधूरी लगती है। दूसरी तरफ पुनः चक्रीकृत न हो पानी वाली प्लास्टिक पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी है। एक बार ही उपयोग हो सकने वाली प्लास्टिक आज के समय में केवल गड्ढों को भरने अथवा समुद्र में फेंकने के लायक रह गई है जिसका पुनः चक्रीकरण नहीं हो पाता।
चेन्नई स्थित पीटरसन एनर्जी नामक नवोन्मेष की विद्या के अनुसार वे सभी प्रकार की प्लास्टिक को पुनः चक्रीकृत कर रहे हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्लास्टिक की सहज उपलब्धता कम दाम और लंबे समय तक टिकाऊपन के कारण प्लास्टिक दुनिया भर में उपयोगी पदार्थ है।
पिछले साल ही पीटरसन एनर्जी ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक ऐसे प्लांट की स्थापना की है जिसमें प्लास्टिक के कचरे से पुनः क्रूड ऑयल बनाया जा सकता है। इस प्लांट के लिए उत्तर प्रदेश सरकार प्लास्टिक का कचरा उपलब्ध कराएगी।
पीटरसन एनर्जी की विद्या का कहना है कि उनका उद्देश्य सभी प्रकार के कचरे को उपयोगी वस्तुओं में बदलने और उनका सदुपयोग करना है। उनका प्रयास है कि देश और विदेशों में भी जगह जगह पर प्लास्टिक के कचरे को क्रूड ऑयल में बदलने के लिए प्लांट लगाए जाएं।